प्रधानाचार्य की लेखनी से.....
प्रधानाचार्य की लेखनी से..........
आज जब मैने अपनी लेखनी उठाई तो मुझे तुरन्त उन विद्यार्थियों का ध्यान आया जो प्रायः अपनी स्मरण शक्ति को लेकर व्यथित रहते हैं और सदैव एक ही शिकायत किया करते हैं कि हम जो भी याद करते हैं, भूल जाते हैं।
स्मरणशक्ति मानवीय मस्तिक की एक ऐसी अद्भुत क्षमता है जिसके आधार पर व्यक्ति सीखता है, अनुभव प्राप्त करता है और स्वयं के विकास के लिए प्रयास करता है। किन्तु आज की भाग-दौड़ से भरी जिन्दगी मे हर किसी को लगता है कि उसकी याददाश्त कमजोर पड़ती जा रही है फिर चाहे वह विद्यार्थी हो या नौकरीपेशा व्यक्ति या फिर घर में रहने वाला व्यक्ति ही हो। याददाश्त में कमी के कारण हर किसी के कार्य प्रभावित होते हैं।
स्मरण शक्ति के कम होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- पर्याप्त नींद न लेना, यकान, तनाव आदि। कभी-कभी तो कार्य का बहुत दबाव होना भी हमारी स्मृति क्षमता को प्रभावित करता है। कई कार्यों को एक साथ करने से भी व्यक्ति की एकाग्रता भंग होती है और उसकी याददाश्त में कमी आती है।
स्मृति क्षमता को बढ़ाने का एक कारगर तरीका है-एकाग्रता। किसी भी बात को याद रखने के लिए विषय-वस्तु पर पूरी तरह से एकाग्र होने की जरूरत है। जब हम एकाग्र होते हैं तो अपने ध्यान को भटकने नहीं देते और अच्छे से कार्य कर पाते हैं। एकाग्र होकर ध्यानपूर्वक किए गए कार्य अपना अच्छा परिणाम देते हैं अतः इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि उस कार्य अथवा विषय में हम अपने अन्दर रूचि उत्पन्न करें जैसे- जब हम कोई रोचक कहानी की किताब पढ़ते हैं तो सहजता से हमारा ध्यान उसमे लग जाता है और मन रम जाता है इस दौरान घटना-कम से लेकर पात्रों के नाम कहानी सब सहज भाव से याद कर लेते हैं। इस तरह स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए मन का सकारात्मक होना, मन का शांत व एकाग्र होना जरूरी है। हमें अपनी एकाग्रता की प्रवृत्ति को विकसित करने की जरूरत है क्योंकि हम जितना अधिक एकाग्रता से किसी कार्य को करेंगे उतना ही उसे याद रख पाएंगे।
अंत में अपनी लेखनी को विराम देने से पूर्व में केवल इतना ही कहूँगा कि जिसने भी मन को साघ लिया उसके लिए हर लक्ष्य आसान हो गया क्योंकि एकाग्रता ही हमारी सफलता के द्वार खोलती है।
जय भारत-जय शिक्षा